सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 11 नवंबर 2025 को अकोला दंगा मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए उस आदेश पर स्थगन (stay) लगा दिया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन करे, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों के समान संख्या में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हों।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में यह तीन-न्यायाधीशीय पीठ मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में गठित की गई थी। इस पीठ ने स्पष्ट किया कि सितंबर 2025 में जस्टिस संजय कुमार की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशीय बेंच द्वारा दिया गया यह निर्देश फिलहाल स्थगित रहेगा।
यह मामला 2023 के अकोला साम्प्रदायिक दंगों से जुड़ा है, जिसमें एक 17 वर्षीय मुस्लिम युवक ने हत्या और हमले के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने राज्य सरकार को ऐसी एसआईटी बनाने का आदेश दिया था जिसमें दोनों समुदायों के अधिकारी समान रूप से शामिल हों, ताकि जांच निष्पक्ष और संतुलित हो सके।
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हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने इस आदेश पर समीक्षा याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद जस्टिस कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के बीच मतभेद सामने आया। जस्टिस कुमार ने अपने पुराने निर्णय को सही ठहराया, जबकि जस्टिस शर्मा ने अपना रुख बदल लिया।
अब इस विवाद को हल करने के लिए मुख्य न्यायाधीश गवई की अगुवाई में तीन-न्यायाधीशीय पीठ मामले की अगली सुनवाई करेगी।
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