असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार अतिक्रमण हटाने की अपनी मुहिम जारी रखेगी और जिन लोगों को इस कार्रवाई के तहत हटाया गया है, उन्हें किसी भी तरह का नया आश्रय नहीं दिया जाएगा।
सीएम ने कहा कि सरकार का उद्देश्य राज्य के “जाति” (समुदाय) की सुरक्षा करना है और इसके लिए अतिक्रमण मुक्त भूमि सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने जनता से अपील की कि यदि लोग इस अभियान में सहयोग जारी रखते हैं, तो सरकार इसे और मजबूती से आगे बढ़ाएगी।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “हमने कई जगहों से अवैध अतिक्रमण हटाया है। अगर इन लोगों को फिर से बसाया गया तो यह हमारी नीति के खिलाफ होगा। हमें असम के मूल निवासियों और उनकी भूमि की रक्षा करनी है।”
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सरकार की इस मुहिम के तहत पहले भी कई बार बड़ी संख्या में परिवारों को अतिक्रमण से हटाया जा चुका है। हालांकि, विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने इन कार्रवाइयों की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे गरीब और भूमिहीन परिवार प्रभावित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार केवल उन लोगों की मदद करेगी जिनके पास वैध दस्तावेज़ और भूमि के अधिकार हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य की भूमि और संसाधनों का संरक्षण असम की सांस्कृतिक पहचान और भविष्य के लिए जरूरी है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राज्य में भूमि विवादों और जनसंख्या असंतुलन से निपटने के लिए उठाया जा रहा है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक विवाद भी बढ़ सकता है।
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