पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले 50 महीनों में जिन कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया है, उनमें सबसे अधिक राशि उसकी महत्वाकांक्षी सामाजिक सहायता योजना ‘लक्ष्मी भंडार’ पर खर्च हुई है। यह योजना राजनीतिक रूप से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए सबसे लाभदायक मानी जाती है और महिलाओं तक सीधे आर्थिक सहायता पहुंचाने के कारण इसकी व्यापक लोकप्रियता बनी हुई है।
राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक लक्ष्मी भंडार योजना पर कुल 74,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस योजना के तहत 2,20,25,342 महिलाएं नियमित मासिक सहायता प्राप्त कर रही हैं। इनमें से 29,45,972 महिलाएं अनुसूचित जाति से हैं, जबकि 4,78,427 महिलाएं अनुसूचित जनजाति से आती हैं।
लक्ष्मी भंडार योजना की शुरुआत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने और उनके घरेलू खर्च में सहयोग देने के उद्देश्य से की गई थी। सामान्य वर्ग की महिलाओं को 500 रुपये प्रति माह तथा एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति माह का लाभ दिया जाता है। इतनी बड़ी संख्या में लाभार्थियों को नियमित सहायता देने के कारण यह योजना राज्य के बजट में सबसे बड़े व्यय मदों में शामिल हो चुकी है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना ने ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग की महिलाओं के बीच तृणमूल कांग्रेस के समर्थन को मजबूत किया है, खासकर चुनावी वर्षों में इसका प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। राज्य सरकार का दावा है कि लक्ष्मी भंडार ने महिलाओं के हाथों में सीधे आर्थिक मदद पहुंचाकर सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
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