भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे से अपील की है कि वे आगामी दशहरा रैली को रद्द करें और इस आयोजन पर खर्च होने वाले धन को बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगाएँ।
भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने संकट की घड़ी में उचित कदम नहीं उठाए और "घर पर ही बैठे रहे"। उपाध्ये ने आरोप लगाया कि ठाकरे ने प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाने में असफलता दिखाई। उन्होंने आगे कहा कि अब समय है कि ठाकरे अपने पिछले "गलतियों का प्रायश्चित" करें और रैली पर खर्च किए जाने वाले संसाधनों को प्रभावित लोगों तक पहुँचाएँ।
महाराष्ट्र के कई जिलों में हाल ही में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। हजारों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा और किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। ऐसे में विपक्षी दलों ने ठाकरे से उम्मीद जताई है कि वे जनता की पीड़ा को प्राथमिकता देंगे।
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भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि ठाकरे यदि वास्तव में जनता के नेता हैं तो उन्हें ऐसे समय में "संवेदनशील निर्णय" लेना चाहिए। रैली को स्थगित या रद्द करके राहत कार्यों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना ही सही दिशा में कदम होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की यह मांग केवल नैतिक दबाव बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के बीच अपनी संवेदनशील छवि पेश करने की रणनीति भी है।
अब देखना होगा कि उद्धव ठाकरे भाजपा की इस मांग पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं—क्या वे रैली जारी रखेंगे या बाढ़ पीड़ितों के लिए संसाधन मुहैया कराकर संवेदनशीलता दिखाएँगे।
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