भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI-designate) न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शनिवार (22 नवंबर 2025) को कहा कि उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े लगभग 90,000 मामलों की संख्या को “प्रबंधनीय स्तर” तक लाना होगा। वर्तमान में अदालत में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उन्होंने बात करते समय ही नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड पर यह संख्या 90,225 तक पहुंच गई थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 7, कृष्ण मेनन मार्ग पर मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा कि लंबित मामलों में भारी कमी लाने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का पहला लक्ष्य ऐसे “कोर केस” (मुख्य मामलों) की पहचान करना होगा, जिनका निर्णय न केवल न्यायिक व्यवस्था को दिशा देगा बल्कि उनसे जुड़े हजारों अन्य मामलों को भी एक साथ निपटाया जा सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान पीठों (Constitution Benches) को नियमित रूप से गठित किया जाएगा ताकि बड़े संवैधानिक मुद्दों का शीघ्र समाधान किया जा सके। कई महत्वपूर्ण मामलों के फैसले रुकने के कारण बड़ी संख्या में संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। यदि उन्हें समय पर निपटाया जाए, तो न्यायिक बोझ में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने संकेत दिया कि उनके नेतृत्व में न्यायपालिका तकनीक-आधारित समाधान, डिजिटल केस मैनेजमेंट और तेज़ सुनवाई तंत्र पर भी जोर देगी। साथ ही, अदालत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि न केवल मामलों की संख्या कम हो, बल्कि न्याय प्रक्रिया सरल, तेज़ और अधिक पारदर्शी भी बने।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता आम जनता को समयबद्ध और प्रभावी न्याय उपलब्ध कराना है और लंबित मामलों का बोझ कम किए बिना यह लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता।
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