लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की जर्मनी यात्रा को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम पांच दिनों में राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर पहले भाजपा ने कटाक्ष किया और अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन की सहयोगी पार्टी CPM के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने भी सवाल उठाए हैं।
राहुल गांधी संसद सत्र के समापन के दौरान जर्मनी में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के एक कार्यक्रम में शामिल थे। इस दौरान चुनावी सुधारों और G RAM G बिल जैसे अहम मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। ब्रिटास ने The Indian Witness से कहा कि उस समय राहुल गांधी की मौजूदगी “बहुत बड़ा फर्क” डाल सकती थी। उन्होंने कहा, “हमने विपक्ष के नेता से नेतृत्व की उम्मीद की थी, यही हमारी अपेक्षा और इच्छा थी।”
ब्रिटास ने यह भी कहा कि संसद सत्र का कैलेंडर दशकों से लगभग तय है और सभी जानते हैं कि यह 22 दिसंबर के आसपास समाप्त होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व को यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए था कि विपक्ष के नेता उस समय देश में मौजूद रहें। उन्होंने बताया कि INDIA गठबंधन की बैठकों में DMK नेता टी.आर. बालू ने भी राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए।
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केरल और तमिलनाडु में अगले साल चुनाव होने हैं और भाजपा इन राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। केरल में भाजपा की हालिया चुनावी सफलताओं ने विपक्षी दलों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
ब्रिटास ने यह भी कहा कि राहुल गांधी की संसद में मौजूदगी से जनता को यह संदेश जाता कि विपक्ष गंभीर है। वहीं भाजपा ने राहुल गांधी की विदेश यात्रा का मज़ाक उड़ाते हुए उन्हें “लीडर ऑफ पार्टीइंग” कहा। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं का हवाला दिया।
इसके अलावा, ब्रिटास ने सत्र के अंत में हुई चाय पार्टी में प्रियंका गांधी वाड्रा और सोनिया गांधी की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए और कहा कि इससे गलत संदेश गया, खासकर तब जब सरकार MNREGA जैसी योजनाओं को कमजोर कर रही है।
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