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भारत-मालदीव संबंधों में नया मोड़, असम के विदेशी न्यायाधिकरणों पर रिपोर्ट ने उठाए सवाल

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू ने द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने के संकेत दिए, वहीं असम के विदेशी न्यायाधिकरणों पर रिपोर्ट ने नागरिकता प्रक्रिया की गंभीर खामियों को उजागर किया।

सुबह की मुख्य खबरें: भारत-मालदीव संबंधों में नया मोड़, असम के विदेशी न्यायाधिकरणों पर रिपोर्ट, और बिहार की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिराग पासवान की चिंता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 26 जुलाई को माले में आयोजित मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर मुलाकात की। दोनों नेताओं ने संकेत दिया कि भारत-मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ा पुनर्संयोजन होने जा रहा है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बीते कुछ महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में तनाव देखा गया था। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को इस क्षेत्रीय रणनीतिक रिश्ते को फिर से मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

वहीं दूसरी ओर, असम में चल रहे विदेशी न्यायाधिकरणों पर एक नई रिपोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। बेंगलुरु स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी और लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये न्यायाधिकरण संवैधानिक सुरक्षा उपायों और उचित कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी कर रहे हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर देशभर में असम की तर्ज पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू किया गया, तो नागरिकता से संबंधित गंभीर मानवाधिकार संकट उत्पन्न हो सकता है। इस अध्ययन ने नागरिकता से जुड़े कानूनी ढांचे पर पुनर्विचार की तत्काल आवश्यकता बताई है।

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इसके अतिरिक्त, लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने बिहार में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर राज्य सरकार को समर्थन देने पर पछतावा जताया है।

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