दीपावली की रात दिल्ली में पटाखों की तेज़ बौछार के कारण वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित रात 10 बजे की सीमा के बाद भी लोग पटाखे जलाते रहे। कई इलाकों में वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानक सीमा से 70-100 गुना अधिक दर्ज किया गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, त्योहार के तुरंत बाद ही हवा की गुणवत्ता में तेजी से सुधार हुआ। प्रदूषण का यह अपेक्षाकृत तेज़ गिराव तेज़ हवाओं और गर्म मौसम के कारण हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल दीपावली अक्टूबर में आई, जबकि सामान्यतः यह नवंबर में होती है। नवंबर में सर्दियों की शुरुआत होने के कारण हवा की गति धीमी और तापमान कम होता, जिससे प्रदूषण लंबे समय तक रहता।
हालांकि, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के कुछ डेटा गायब होने से पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञ और पर्यावरण कार्यकर्ता इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि सार्वजनिक डेटा की अनुपस्थिति से वायु प्रदूषण के सही आंकड़े और नियामक कार्रवाई प्रभावित हो सकती है।
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दीपावली के बाद शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 351 दर्ज किया गया, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इस स्तर पर लोगों, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगियों के लिए बाहर निकलना खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की कि अगले साल के लिए पटाखों का कम उपयोग करें और प्रदूषण कम करने के उपाय अपनाएं, ताकि त्योहार के आनंद के साथ स्वास्थ्य की सुरक्षा भी बनी रहे।
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