दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह यह जांच करेगा कि क्या केंद्र सरकार को फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ में कट लगाने का कानूनी अधिकार है। अदालत ने सुनवाई के दौरान केंद्र को स्पष्ट रूप से कहा कि उसे केवल कानून के दायरे में रहकर ही अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा और उससे बाहर नहीं जा सकता।
मामला तब उठा जब फिल्म के निर्माताओं ने अदालत में याचिका दायर कर केंद्र सरकार द्वारा फिल्म में कुछ दृश्यों को हटाने के आदेश को चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सेंसर बोर्ड द्वारा पहले ही फिल्म को प्रमाणित किया जा चुका है और केंद्र का हस्तक्षेप सिनेमैटोग्राफ अधिनियम का उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा, “आपको अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कानून की चारदीवारी के भीतर करना होगा। आप उससे बाहर नहीं जा सकते।” अदालत ने यह भी कहा कि उसे यह तय करना होगा कि क्या केंद्र को इस तरह के आदेश जारी करने का वैधानिक अधिकार है।
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अदालत ने मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता बताते हुए अगली तारीख तय की और सभी पक्षों को अपने-अपने तर्क लिखित रूप में पेश करने का निर्देश दिया।
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ हाल ही में रिलीज हुई एक संवेदनशील विषय पर आधारित मूवी है, जिसके कुछ दृश्यों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक शांति और कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए कुछ कट लगाने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट का यह निर्णय आने वाले समय में फिल्म सेंसरशिप और सरकारी हस्तक्षेप से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।
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