दिल्ली हाई कोर्ट ने कक्षा 6 में प्रवेश के लिए CM SHRI स्कूलों द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा को वैध करार दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (RTE Act), 2009 का उल्लंघन नहीं करती।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मास्टर जनमेश सागर द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि प्रवेश परीक्षा कराना आरटीई अधिनियम की धारा 13 के तहत प्रतिबंधित स्क्रीनिंग प्रक्रिया है, जो बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
जनमेश के पिता की ओर से याचिका दिल्ली सरकार के 23 जुलाई 2025 के उस परिपत्र के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें 2025-26 सत्र के लिए कक्षा 6 से 8 में प्रवेश प्रक्रिया का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि 13 सितंबर 2025 को उसे जबरन परीक्षा देनी पड़ी और 29 सितंबर को उसे ‘फेल’ घोषित कर दिया गया।
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2025 को याचिका का निस्तारण करते हुए हाई कोर्ट में जाने की अनुमति दी थी।
दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता समीयर वशिष्ठ ने दलील दी कि 2012 में सोशल जस्टिस्ट बनाम जीएनसीटीडी मामले में डिवीजन बेंच पहले ही ऐसे चयन आधारित प्रवेश को वैध ठहरा चुकी है। उन्होंने कहा कि CM SHRI स्कूल भी “स्पेसिफाइड कैटेगरी स्कूल” हैं, इसलिए कक्षा 6 में स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लागू नहीं होता। केंद्र सरकार ने भी इसे समर्थन दिया।
अदालत ने कहा कि आरटीई की धारा 13 केवल प्रवेश के प्रारंभिक स्तर—नर्सरी या कक्षा 1—पर लागू होती है। कक्षा 6 में प्रवेश को ‘ट्रांसफर प्रक्रिया’ माना जाता है, क्योंकि बच्चे पहले से किसी विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे होते हैं। ऐसे स्कूलों में प्रवेश मांगना कोई विधिक अधिकार नहीं है।
अदालत ने यह भी कहा कि योग्य छात्रों को बेहतर अवसर देना भेदभावपूर्ण नहीं है, विशेषकर तब जब उन्नत स्कूलों में सीटें सीमित हों।
अंत में, अदालत ने याचिका को बिना किसी मेरिट के खारिज कर दिया।
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