यह वारदात अंधेरी रात में हुई। हमलावर चुपचाप आए और महज तीन से पांच मिनट के भीतर गुरुग्राम के एक CNG पंप पर काम करने वाले तीन कर्मचारियों की बेरहमी से चाकू मारकर हत्या कर दी। इसके बाद वे बिना कोई सुराग छोड़े फरार हो गए। तीन साल बीत जाने के बावजूद यह रहस्य अब तक सुलझ नहीं पाया है कि हत्यारे कौन थे और उनका मकसद क्या था।
गुरुग्राम के सेक्टर-31 में स्थित यह CNG पंप दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे के सर्विस रोड पर बना हुआ है। पंप परिसर को सजावटी फेयरी लाइट्स से सजाया गया है, जो देखने में दिवाली की रोशनी जैसी लगती हैं। यहां कई ड्यूल-होज़ CNG डिस्पेंसर लगे हैं, जिन्हें ऊंचे कंक्रीट प्लेटफॉर्म पर स्थापित किया गया है। हर डिस्पेंसर के पास लगे खंभों पर सीसीटीवी कैमरे फिट हैं, जिनका फोकस नोज़ल क्षेत्र की ओर रहता है ताकि हर गतिविधि रिकॉर्ड की जा सके।
पंप के पीछे की ओर मैनेजर का कमरा स्थित है, जिसके पास बिजली आपूर्ति और बैकअप यूनिट्स भी लगी हुई हैं। सुरक्षा इंतजामों और कैमरों के बावजूद हमलावरों ने इतनी तेजी से वारदात को अंजाम दिया कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।
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जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि हमलावर पंप पर क्यों आए थे। क्या यह लूट का मामला था, किसी पुरानी रंजिश का नतीजा या फिर कोई और गहरी साजिश? कर्मचारियों की हत्या के बाद न तो नकदी लूटे जाने के स्पष्ट सबूत मिले और न ही किसी ठोस दुश्मनी का संकेत।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले, कई लोगों से पूछताछ की और संभावित कोणों पर जांच की, लेकिन तीन साल बाद भी यह मामला रहस्य बना हुआ है। पीड़ितों के परिवार आज भी न्याय की आस लगाए बैठे हैं और यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर उनके अपनों का कातिल कौन था।
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