हरियाणा के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से जुड़े सैकड़ों मज़दूरों ने शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया। इन मज़दूरों का कहना है कि पिछले 4–5 महीनों से उन्हें मनरेगा के तहत कोई काम नहीं मिल रहा है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार के नए निर्देशों के बाद कई तरह के कामों को मनरेगा की स्वीकृत कार्य सूची से हटा दिया गया है।
फतेहाबाद जिले के तोहाना के रहने वाले किसान कुमार ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि केंद्र से आए आदेशों के बाद कई प्रकार के कार्य रोक दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “पांच महीने से हमें कोई काम नहीं मिल रहा। अधिकारी कहते हैं कि केंद्र से आदेश आए हैं, इसलिए कई काम बंद कर दिए गए हैं।”
सामाजिक कार्यकर्ता धीरज गाभा ने आरोप लगाया कि "कच्चे काम", जिनमें बड़ी संख्या में अकुशल मजदूर काम करते हैं—जैसे जल संरक्षण, सिंचाई, तालाब पुनर्निर्माण, सूखा-रोधी कार्य, ग्रामीण संपर्क मार्ग और भूमि विकास—को सूची से हटा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूरे हरियाणा के विभिन्न जिलों में पहले भी प्रदर्शन किए जा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह केंद्र का फैसला है, इसलिए वे अब दिल्ली में प्रदर्शन करने आए हैं।
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गाभा ने कहा कि वे इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कार्रवाई नहीं की, तो अगले साल बजट सत्र के दौरान एक लाख मनरेगा मजदूर दिल्ली में विशाल प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कई महिलाएँ, जिन्होंने स्वयं सहायता समूहों से कर्ज लिया है, किस्तें नहीं चुका पा रही हैं और सरकार से कर्ज माफी की मांग कर रही हैं।
कई मजदूर संगठनों—राष्ट्रीय मजदूर किसान मंच, क्रांतिकारी मनरेगा मजदूर यूनियन, मनरेगा मजदूर एकता मंच और मनरेगा मेट मजदूर यूनियन—ने संयुक्त बयान जारी कर आदेश वापसी, कार्यों की बहाली, मज़दूरी सुरक्षा, पारदर्शी कार्य-डिमांड प्रणाली और समयबद्ध शिकायत निवारण की मांग की।
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