हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में देरी को लेकर सरकार को घेरा। बुधवार को आयोजित सत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने स्थगन प्रस्ताव लाकर राज्य सरकार पर संवैधानिक व्यवस्था का “मजाक उड़ाने” का गंभीर आरोप लगाया।
बीजेपी ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिससे पंचायत राज संस्थाओं (PRIs) और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के चुनावों में देरी पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की गई। प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे सदन की प्राथमिकता मानते हुए प्रश्नकाल सहित अन्य सभी निर्धारित कामकाज स्थगित कर दिया।
विपक्ष ने सदन में आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर चुनावों से बच रही है और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने जैसा है। बीजेपी विधायकों ने कहा कि चुनाव समय पर नहीं कराना जनता के अधिकारों का हनन है और संविधान की भावना के विपरीत है।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा कि सरकार तथ्यों के आधार पर बहस चाहती है और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि चुनावों में देरी विभिन्न प्रशासनिक कारणों और तैयारियों से संबंधित है, लेकिन सरकार किसी बहस से भागने वाली नहीं है।
सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने चुनाव संबंधी सभी आवश्यक कदम उठाए हैं और जो भी बाधाएं हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि बहस को तथ्यों पर केंद्रित रखा जाए न कि राजनीतिक आरोपों तक सीमित किया जाए।
सत्र की शुरुआत में ही मुद्दा गर्माने से शीतकालीन सत्र के बाकी दिनों में भी राजनीतिक टकराव तेज रहने के संकेत मिल रहे हैं।
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