लैंसेट के नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में क्रॉनिक किडनी रोग (CKD) का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में भारत में अनुमानित 13.8 करोड़ वयस्क क्रॉनिक किडनी रोग से प्रभावित थे, जिससे यह दुनिया में दूसरा सबसे अधिक बोझ वाला देश बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रॉनिक किडनी रोग अब भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है, जबकि इसके शुरुआती चरणों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे रोगियों को देर से पता चलता है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ 2023 अध्ययन, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संस्थानों ने मिलकर तैयार किया है, यह दर्शाता है कि पिछले तीन दशकों में क्रॉनिक किडनी रोग के मामलों में वैश्विक स्तर पर भारी वृद्धि हुई है। 1990 में जहां दुनिया में 37.8 करोड़ लोग क्रॉनिक किडनी रोग के साथ रह रहे थे, वहीं यह संख्या 2023 में बढ़कर 78.8 करोड़ हो गई। वयस्कों में क्रॉनिक किडनी रोग की वैश्विक प्रचलन दर 14.2% रही, जबकि दक्षिण एशिया, जिसमें भारत भी शामिल है, में यह दर 15.8% है—जो दुनिया में सबसे अधिक है।
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि क्रॉनिक किडनी रोग हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ा देता है। वर्ष 2023 में कमजोर गुर्दा कार्यक्षमता वैश्विक स्तर पर 11.5% हृदय संबंधी मौतों का कारण बनी और क्रॉनिक किडनी रोग को हृदय रोग से होने वाली मौतों का सातवां प्रमुख कारण माना गया।
और पढ़ें: मध्य प्रदेश में शिशु की मौत, परिवार ने आयुर्वेदिक खांसी की दवा पर लगाया आरोप
विशेषज्ञों का कहना है कि क्रॉनिक किडनी रोग के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए रोकथाम, जल्दी पहचान और सार्वजनिक जागरूकता पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर पैट्रिक मार्क ने कहा कि “क्रॉनिक किडनी रोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकारों और स्वास्थ्य प्रणालियों को स्क्रीनिंग रणनीतियों और जागरूकता कार्यक्रमों पर तुरंत काम करना चाहिए।”
डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों की नियमित जांच से बीमारी को शुरुआती चरण में पकड़ा जा सकता है। पिछले दशक में क्रॉनिक किडनी रोग के उपचार में काफी प्रगति हुई है, और समय रहते इलाज शुरू करने से मरीज डायलेसिस या ट्रांसप्लांट की आवश्यकता वाले गंभीर चरणों तक पहुंचने से बच सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी क्रॉनिक किडनी रोग को वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में मान्यता दी है और 2030 तक गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों में एक-तिहाई कमी लाने के एजेंडा में इसे शामिल किया है।
और पढ़ें: श्रृंखलाबद्ध धमाकों के बाद श्रीलंका टीम की सुरक्षा अब पाकिस्तानी सेना के हवाले