भारत ने अपने राजमार्ग नेटवर्क को ‘डिजिटल हाइवे’ में बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) अब देश की सड़कों को केवल भौतिक मार्ग नहीं, बल्कि तकनीकी और डेटा-आधारित कनेक्टिविटी के प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित कर रहा है। इसका उद्देश्य यात्राओं को तेज, सुरक्षित और कुशल बनाना है।
भारत का सड़क नेटवर्क अब 63 लाख किलोमीटर से अधिक का हो चुका है, जो विश्व में दूसरा सबसे बड़ा है। 2013–14 में जहां राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 91,287 किमी थी, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 1,46,204 किमी हो गई। इस विशाल विस्तार के साथ निगरानी, रखरखाव और पारदर्शिता के लिए डिजिटल समाधान जरूरी हो गए हैं।
ई-टोलिंग ने बदली भुगतान प्रणाली
देशभर में इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NETC) प्रणाली को लागू किया गया है। FASTag, जो RFID तकनीक पर आधारित है, अब 98% वाहनों में सक्रिय है और 8 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता इससे जुड़ चुके हैं। अगस्त 2025 में शुरू की गई FASTag वार्षिक पास योजना के तहत ₹3,000 में एक वर्ष या 200 यात्राओं की सुविधा दी गई, जिसमें दो माह में 25 लाख से अधिक पंजीकरण हुए।
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15 नवंबर से लागू होने वाले नए नियमों के तहत नकद भुगतान पर शुल्क दोगुना और UPI भुगतान पर 25% अधिक लिया जाएगा। गुजरात के चोर्यासी प्लाज़ा में देश की पहली मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) प्रणाली शुरू हुई है, जिसमें कैमरा और सेंसर से वाहन बिना रुके टोल पार कर सकते हैं।
राजमार्ग यात्रा का डिजिटल साथी ‘राजमार्गयात्रा’ ऐप
राजमार्गयात्रा मोबाइल ऐप यात्रियों को लाइव रूट अपडेट, टोल जानकारी, पेट्रोल पंप, अस्पताल, चार्जिंग स्टेशन और मौसम की जानकारी देता है। इसमें शिकायत दर्ज करने और फोटो अपलोड की सुविधा भी है। यह FASTag से जुड़ा हुआ है और कई भाषाओं में उपलब्ध है।
एनएचएआई वन और ‘गति शक्ति’ से स्मार्ट मॉनिटरिंग
एनएचएआई वन प्लेटफ़ॉर्म ने उपस्थिति, रखरखाव, ऑडिट और निर्माण की रिपोर्टिंग को एकीकृत किया है। वहीं, ‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ पर 1.46 लाख किमी राजमार्गों का डेटा अपलोड कर डिजिटल समन्वय को सक्षम बनाया गया है।
सुरक्षा और स्थिरता पर जोर
एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) से ट्रैफिक निगरानी वास्तविक समय में संभव हुई है। बेंगलुरु–मैसूर एक्सप्रेसवे में इसकी स्थापना के बाद हादसों में उल्लेखनीय कमी आई है। साथ ही, ग्रीन हाइवे मिशन के तहत 2023–25 में 1.2 करोड़ पौधे लगाए गए और पुनर्नवीनीकरण सामग्री के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है।
भारत की सड़कें अब “सोचने और संवाद करने वाली” बन रही हैं — जो देश को अधिक कुशल, हरित और भविष्य-उन्मुख परिवहन नेटवर्क की दिशा में अग्रसर कर रही हैं।
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