विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत के हितों की सुरक्षा केवल रणनीतिक स्वायत्तता के माध्यम से ही सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज की अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों में किसी एक शक्ति समूह या गठबंधन पर अत्यधिक निर्भरता देश के निर्णयों को सीमित कर सकती है। इसलिए भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत स्वतंत्र और बहुआयामी होना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाना होगा और हर परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ अलगाववाद नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी नीति है जिसमें भारत सभी देशों के साथ समान और व्यावहारिक संबंध रखता है, बिना किसी बाहरी दबाव के निर्णय लेते हुए।
उन्होंने यह भी कहा कि बीते वर्षों में भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी स्वतंत्र भूमिका स्थापित की है — चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रुख हो, अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ सहयोग हो या दक्षिण एशिया में संतुलित कूटनीति। जयशंकर ने जोर दिया कि भारत की शक्ति और विश्वसनीयता उसकी इस नीति में निहित है कि वह किसी के प्रभाव में आए बिना अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है।
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का उद्देश्य केवल आत्मनिर्भरता नहीं है, बल्कि विश्व व्यवस्था में एक जिम्मेदार और संतुलित भूमिका निभाना है। जयशंकर के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत को अपनी क्षमताओं का विस्तार करते हुए वैश्विक मामलों में निर्णायक योगदान देने की आवश्यकता है।
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