भारतीय सेना द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए पांच साल पुराने पूर्ण प्रतिबंध को हटाने का हालिया निर्णय सैन्य नीति में एक व्यावहारिक और समयानुकूल बदलाव को दर्शाता है। सैन्य खुफिया महानिदेशालय (DGMI) के माध्यम से तत्काल प्रभाव से जारी नई दिशा-निर्देशों के तहत अब सैनिकों को इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म केवल देखने और निगरानी के उद्देश्य से उपयोग करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, पोस्ट करने, टिप्पणी करने या किसी भी प्रकार की इंटरएक्टिव गतिविधि पर सख्त रोक जारी रहेगी।
यह संतुलित नीति इस सच्चाई को स्वीकार करती है कि 2025 के डिजिटल युग में सैन्य कर्मियों को सूचना और तकनीक से पूरी तरह अलग रखना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि आधुनिक सैन्य नेतृत्व के विकास के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। साथ ही, यह नीति ऑपरेशनल सुरक्षा से कोई समझौता किए बिना सैनिकों को डिजिटल दुनिया से सीमित जुड़ाव की अनुमति देती है।
नई नीति जुलाई 2020 में लगाए गए उस व्यापक प्रतिबंध को पलटती है, जिसके तहत सभी अधिकारियों और जवानों को फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित 89 ऐप्स हटाने का आदेश दिया गया था। उस समय यह फैसला साइबर सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताओं और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा कथित ‘हनी ट्रैप’ अभियानों के चलते लिया गया था, जिनसे संवेदनशील जानकारियों के लीक होने की आशंका थी। हालांकि, समय के साथ यह स्पष्ट हुआ कि ऐसा पूर्ण प्रतिबंध लंबे समय तक व्यावहारिक नहीं है।
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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में चाणक्य डिफेंस डायलॉग में इस वास्तविकता को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रशिक्षण अकादमियों में कैडेट्स भले ही शुरुआत में मोबाइल फोन के बिना संघर्ष करते हों, लेकिन दूरदराज और सीमावर्ती इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए स्मार्टफोन परिवार से जुड़े रहने का एक अहम साधन बन चुका है।
नई सोशल मीडिया नीति इसी संतुलन को दर्शाती है, जिसमें सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सैनिकों की मानसिक और सामाजिक जरूरतों को भी समझा गया है।
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