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सिर्फ दोस्ती किसी पुरुष को नाबालिग से संबंध बनाने का अधिकार नहीं देती: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केवल दोस्ती के आधार पर कोई पुरुष नाबालिग लड़की से यौन संबंध बनाने का दावा नहीं कर सकता। कानून नाबालिग की सुरक्षा को सर्वोच्च मानता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि सिर्फ दोस्ती का रिश्ता किसी पुरुष को यह अधिकार नहीं देता कि वह किसी नाबालिग लड़की के साथ यौन संबंध बनाए। अदालत ने यह टिप्पणी एक पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोपी ने दावा किया था कि वह पीड़िता से दोस्ती करता था और संबंध आपसी सहमति से बने।

अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय कानून के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की की सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं मानी जाती। ऐसे मामलों में यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में आते हैं, भले ही लड़की ने सहमति दी हो या नहीं।

न्यायमूर्ति ने कहा, "किसी नाबालिग लड़की से केवल मित्रता का दावा करके कोई यह नहीं कह सकता कि उसे उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार प्राप्त हो गया है। कानून नाबालिगों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रूप से सख्त रुख अपनाता है।"

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इस टिप्पणी के साथ अदालत ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और कहा कि मामले में आगे की जांच और सुनवाई जारी रहेगी।

यह निर्णय न केवल नाबालिगों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मजबूती देता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि भारतीय न्यायपालिका यौन अपराधों के मामलों में सहमति की वैधता को लेकर संवेदनशील और सख्त रवैया अपनाए हुए है।

इस फैसले को बच्चों की सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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