संयुक्त राष्ट्र ने ईरान पर ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध को पुनः लागू कर दिया है, जो उस देश के परमाणु कार्यक्रम के कारण लगाए गए थे। इन प्रतिबंधों के तहत ईरान पर पहले से लगी कई आर्थिक और वाणिज्यिक सीमाओं को फिर से प्रभावी किया गया है। यूएन की यह कार्रवाई ईरान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच लंबे समय से चल रहे परमाणु समझौतों और विवादों का हिस्सा है।
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन और विदेश मंत्री अब्दुल्ला अराघची ने यूएन महासभा में अंतिम क्षण तक कूटनीतिक प्रयास किए ताकि इन प्रतिबंधों को रोका जा सके। उन्होंने अन्य देशों से समर्थन की अपील की और कहा कि प्रतिबंधों को पुनः लागू करना क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए हानिकारक होगा।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय चिंता इस तथ्य से जुड़ी है कि ईरान अपने परमाणु उर्जा कार्यक्रम के तहत उच्च स्तर के संवेदनशील तकनीकी और सामग्री का विकास कर रहा है। पश्चिमी देशों का दावा है कि इस कार्यक्रम का उपयोग परमाणु हथियार विकसित करने में हो सकता है, जबकि ईरान ने हमेशा इसे केवल ऊर्जा और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए बताया है।
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स्नैपबैक प्रतिबंधों में ईरान के तेल निर्यात, वित्तीय लेनदेन और तकनीकी आयात पर कड़े प्रतिबंध शामिल हैं। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
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