इज़राइल ने गुरुवार (25 दिसंबर, 2025) को पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) में नई यहूदी बस्तियों को मंजूरी देने के फैसले की आलोचना करने वाले 14 देशों पर कड़ा ऐतराज जताया है। इनमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। इज़राइल ने इन देशों की आलोचना को यहूदियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और नैतिक रूप से गलत करार दिया है।
इज़राइल के विदेश मंत्री गिडियन सार ने कहा, “विदेशी सरकारें यहूदियों के इस अधिकार को सीमित नहीं कर सकती कि वे इज़राइल की भूमि में रहें। ऐसा कोई भी आह्वान नैतिक रूप से गलत है और यहूदियों के खिलाफ भेदभाव को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा कि 11 नई बस्तियों की स्थापना और आठ अन्य बस्तियों को औपचारिक मान्यता देने का कैबिनेट फैसला, अन्य बातों के साथ-साथ, इज़राइल के सामने मौजूद सुरक्षा खतरों से निपटने के उद्देश्य से लिया गया है।
इससे पहले रविवार (22 दिसंबर) को इज़राइल के दक्षिणपंथी वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने घोषणा की थी कि सरकार ने पश्चिमी तट में नई बस्तियों को हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा था कि यह कदम एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकने के लिए उठाया गया है।
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इसके बाद 14 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर इज़राइल से अपने फैसले और बस्तियों के विस्तार को वापस लेने की अपील की। इन देशों ने कहा कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाइयां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं और 10 अक्टूबर से गाज़ा में लागू नाज़ुक संघर्षविराम को कमजोर कर सकती हैं।
इन देशों ने दो-राष्ट्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उनका लक्ष्य इज़राइल और फिलिस्तीन — दो लोकतांत्रिक देशों — का शांति और सुरक्षा के साथ सह-अस्तित्व है।
इज़राइल ने 1967 के अरब-इज़राइल युद्ध के बाद पश्चिमी तट पर कब्जा किया था। पूर्वी यरुशलम को छोड़कर, पश्चिमी तट में करीब 5 लाख इज़राइली और लगभग 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पश्चिमी तट में इज़राइली बस्तियों का विस्तार 2017 के बाद सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध माना जाता है।
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