बंगाल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि वे “बंगाल के ओवैसी” बनेंगे और राज्य के मुस्लिम वोट बैंक को पूरी तरह बदल देंगे। मीडिया से बात करते हुए कबीर ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ अपने संबंधों का उल्लेख किया और कहा, “मैंने ओवैसी से बात की है... उन्होंने कहा है कि वे हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूं।”
कबीर ने घोषणा की कि वे 10 दिसंबर को कोलकाता जाकर अपनी नई पार्टी की समिति बनाएंगे और 12 दिसंबर को लाखों समर्थकों के साथ पार्टी का औपचारिक शुभारंभ करेंगे। उनका दावा है कि वे 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे और आने वाले चुनाव में “गेम-चेंजर” बनेंगे।
बंगाल के लगभग 27% मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा तृणमूल कांग्रेस को मिलता रहा है, लेकिन कबीर का कहना है कि उनकी नई पार्टी इस समीकरण को बदल देगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे मुस्लिम समुदाय के लिए काम करने वाली पार्टी बनाएंगे और टीएमसी के मुस्लिम वोट बैंक को “समाप्त” कर देंगे।
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हुमायूं कबीर को टीएमसी ने निलंबित किया था, क्योंकि उन्होंने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद से वे AIMIM के संपर्क में हैं और चुनाव AIMIM के साथ लड़ने की बात कह चुके हैं। हालांकि AIMIM या ओवैसी ने इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।
2021 में AIMIM ने बंगाल में सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। हालांकि बिहार में AIMIM ने मजबूत प्रदर्शन किया और पांच जीती हुई सीटों को बरकरार रखा, जिससे बंगाल में उनकी उम्मीदें बढ़ी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुस्लिम वोटों के बंटने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है, इसलिए विपक्ष के कुछ नेता ओवैसी को बीजेपी की “बी टीम” कह रहे हैं, जिसे ओवैसी ने खारिज कर दिया है।
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