आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शिक्षा व्यवस्था में तेजी से अपनाया जा रहा है, जिससे दुनियाभर में उत्साह और चिंता दोनों देखी जा रही हैं। यूनेस्को और यूनिसेफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की हालिया रिपोर्टों में यह स्पष्ट किया गया है कि जहां एआई शिक्षा को अधिक समावेशी, व्यक्तिगत और प्रभावी बना सकता है, वहीं इसके नैतिक और शिक्षण से जुड़े खतरे भी गंभीर रूप से ध्यान देने योग्य हैं।
भारत में, विशेष रूप से केरल राज्य इस दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है। जहां अन्य राज्यों में एआई आधारित रोबोटिक शिक्षकों की खबरें अधिक ध्यान खींच रही हैं, वहीं केरल एक समग्र और नैतिक दृष्टिकोण से एआई को शिक्षा में एकीकृत कर रहा है।
केरल सरकार और स्थानीय शैक्षणिक संस्थान एआई का उपयोग केवल तकनीकी कौशल सिखाने के लिए ही नहीं कर रहे, बल्कि यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसका प्रयोग बच्चों के मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में सहायक हो। नैतिक एआई का प्रयोग यह सुनिश्चित करता है कि डेटा गोपनीयता, पूर्वग्रहों से बचाव और शिक्षक की भूमिका को कमजोर न किया जाए।
केरल का यह दृष्टिकोण वैश्विक मंच पर सराहा जा रहा है और यह अन्य देशों के लिए एक मॉडल बन सकता है कि कैसे तकनीकी नवाचार को शिक्षा के मानवीय मूल्यों के साथ संतुलित किया जा सकता है।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि भारत सिर्फ तकनीक अपनाने में ही नहीं, बल्कि उसे नैतिक और टिकाऊ रूप से लागू करने में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है।