पांच वर्षों से जारी गृहयुद्ध के बीच म्यांमार की सैन्य जुंटा सरकार ने रविवार, 28 दिसंबर 2025 को चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी। सेना ने इस चुनाव को लोकतंत्र की वापसी बताया है, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पश्चिमी देशों के राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने इसकी कड़ी आलोचना की है। आलोचकों का कहना है कि यह चुनाव सैन्य समर्थकों के पक्ष में झुका हुआ है और असहमति को बेरहमी से दबाया जा रहा है।
पूर्व नागरिक नेता आंग सान सू ची अब भी जेल में हैं। उनकी बेहद लोकप्रिय पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) को भंग कर दिया गया है और वह इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले रही है। सेना समर्थक यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (USDP) के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की संभावना जताई जा रही है, जिसे आलोचक सैन्य शासन का नया रूप मानते हैं।
करीब पांच करोड़ की आबादी वाले इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में गृहयुद्ध के कारण विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में मतदान नहीं हो रहा है। जुंटा नियंत्रित क्षेत्रों में तीन चरणों में होने वाले मतदान का पहला दौर सुबह 6 बजे शुरू हुआ, जिसमें यांगून, मांडले और राजधानी नेप्यीडॉ के निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।
और पढ़ें: अमेरिका के उत्तर-पूर्व में कड़ाके की सर्दी: हजारों उड़ानें रद्द और विलंबित, न्यूयॉर्क-न्यू जर्सी में आपातकाल
हालांकि 2020 के चुनावों में मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखने को मिली थीं, लेकिन इस बार मतदान की शुरुआत बेहद सुस्त रही। कई जगहों पर मतदाताओं से ज्यादा पत्रकार और चुनावकर्मी नजर आए। अंतरराष्ट्रीय आलोचना को खारिज करते हुए कुछ मतदाताओं ने चुनाव को देश के लिए जरूरी बताया।
वहीं, जुंटा की हिंसा से प्रभावित आम नागरिकों का कहना है कि मौजूदा हालात में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव असंभव है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा कि यह चुनाव हिंसा और दमन के माहौल में कराए जा रहे हैं। चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण जनवरी में होने हैं, लेकिन सेना ने भी माना है कि लगभग हर पांच में से एक क्षेत्र में मतदान संभव नहीं है।
और पढ़ें: आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों की नई दुनिया: हथियार छोड़ने के बाद कैसे बदली ज़िंदगी