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संकोची स्वभाव में बीता बचपन, अंतरिक्ष यात्रा का सपना कभी नहीं देखा : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बताया कि वे बचपन में बेहद संकोची थे और कभी नहीं सोचा था कि वे अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे, हालांकि उन्होंने राकेश शर्मा की उड़ान की कहानियाँ सुनीं।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि वे बचपन में बेहद संकोची स्वभाव के थे और कभी नहीं सोचा था कि वे अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने बचपन में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान की कहानियाँ अवश्य सुनीं, लेकिन उस समय अंतरिक्ष में जाने का सपना उनके मन में नहीं पनपा।

शुक्ला ने कहा कि उनका बचपन पढ़ाई और साधारण जीवन में बीता। परिवार और शिक्षकों ने हमेशा उन्हें मेहनत करने की प्रेरणा दी, लेकिन अंतरिक्ष जैसी ऊँची उड़ान उनके विचारों में बहुत बाद में आई। उन्होंने बताया कि समय के साथ विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति उनका झुकाव बढ़ा और उन्होंने अपने जीवन में इस दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

आज अंतरिक्ष यात्री बनने के बाद शुक्ला मानते हैं कि किसी भी सपने को साकार करने के लिए आत्मविश्वास, मेहनत और दृढ़ संकल्प सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में जाना केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि इंसान सीमाओं को पार कर सकता है।

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शुक्ला की यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणा है कि चाहे बचपन कितना भी साधारण क्यों न हो, सही दिशा और मेहनत से कोई भी ऊँचाई हासिल की जा सकती है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि वे कभी अपने सपनों को छोटा न समझें और लगातार प्रयास करते रहें।

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