मुंबई की जहरीली हवा पर बॉम्बे हाईकोर्ट सख्त, बीएमसी से त्वरित और दीर्घकालिक उपायों की मांग
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की जहरीली हवा पर चिंता जताते हुए 36 प्रदूषित स्थलों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए और बीएमसी से प्रदूषण रोकने की विस्तृत योजना मांगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर गंभीर चिंता जताई है। सोमवार (15 दिसंबर 2025) को वायु प्रदूषण को लेकर स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, “हमें इसका समाधान ढूंढना होगा, हम ऐसे नहीं जी सकते।” अदालत की यह टिप्पणी शहर में बढ़ते प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभावों को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाती है।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखाड़ की खंडपीठ को एक समिति ने जानकारी दी कि 6 दिसंबर से मुंबई और नवी मुंबई के कई इलाकों में निरीक्षण किए गए हैं। इन निरीक्षणों में रेडी मिक्स कंक्रीट (आरएमसी) प्लांट्स सहित विभिन्न स्थानों पर हवा की गुणवत्ता “अत्यंत जहरीली” पाई गई है। समिति के अनुसार, कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर तय मानकों से कहीं अधिक है, जिससे आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि अब तक 36 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है, जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके बाद खंडपीठ ने समिति को निर्देश दिया कि वह वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए आवश्यक कदमों और संसाधनों की एक विस्तृत सूची अदालत के समक्ष पेश करे। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल अस्थायी उपाय पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि दीर्घकालिक और प्रभावी योजना बनानी होगी।
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने अदालत को बताया कि वह प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण बढ़ा रही है और भविष्य के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार कर रही है। इसमें निर्माण स्थलों पर सख्ती, धूल नियंत्रण के उपाय, और औद्योगिक इकाइयों की निगरानी शामिल है।
हाईकोर्ट ने संकेत दिया कि यदि हालात में शीघ्र सुधार नहीं हुआ, तो और कड़े निर्देश जारी किए जा सकते हैं। यह मामला अब मुंबई की हवा को साफ करने के लिए प्रशासनिक जवाबदेही और न्यायिक हस्तक्षेप का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
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