चेन्नई उच्च न्यायालय की जांच में कांचीपुरम न्यायाधीश के व्यक्तिगत विवाद में DSP को रिमांड में भेजने की पुष्टि
चेन्नई उच्च न्यायालय की जांच ने पुष्टि की कि कांचीपुरम न्यायाधीश और उनके पूर्व PSO के निजी विवाद में DSP को रिमांड में भेजा गया। रिपोर्ट विजिलेंस कमिटी के समक्ष रखी जाएगी।
चेन्नई उच्च न्यायालय की अदालत द्वारा आदेशित जांच में पुष्टि हुई है कि कांचीपुरम के एक न्यायाधीश और उनके पूर्व व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी (PSO) के बीच निजी विवाद के कारण DSP को रिमांड में भेजा गया था। यह मामला न्यायपालिका में उच्च स्तर की संवेदनशीलता और प्रशासनिक प्रक्रिया के महत्व को उजागर करता है।
जांच रिपोर्ट में अदालत ने स्पष्ट किया कि DSP को न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही रिमांड में भेजा गया था और इसमें किसी भी तरह की अनुचितता या दुरुपयोग का मामला नहीं पाया गया। न्यायाधीश एन. सतीश कुमार ने निर्देश दिया कि यह जांच रिपोर्ट उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधिशों से मिलकर गठित विजिलेंस कमिटी के समक्ष रखी जाए। कमिटी रिपोर्ट का अध्ययन कर आगे की कार्रवाई का निर्णय करेगी।
संबंधित मामला तब सामने आया था जब न्यायाधीश और उनके पूर्व PSO के बीच किसी निजी मुद्दे को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद प्रशासनिक कार्रवाई के तहत DSP को जिम्मेदारी सौंपकर रिमांड में भेजा गया। उच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया की पूरी समीक्षा के लिए विजिलेंस कमिटी को जिम्मेदारी सौंपी है।
और पढ़ें: पति-पत्नी के बीच संपत्ति विवाद केवल फैमिली कोर्ट में सुने जाएंगे: मद्रास हाईकोर्ट
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायिक अधिकारियों और संबंधित पुलिसकर्मियों के बीच उत्पन्न विवादों का समाधान विधिक और संस्थागत प्रक्रियाओं के तहत किया जाएगा।
विजिलेंस कमिटी की समीक्षा के बाद ही आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा, ताकि न्यायपालिका की छवि और स्वतंत्रता को बनाए रखा जा सके।
और पढ़ें: मानव-हाथी टकराव रोकने हेतु कोयंबटूर वनों में स्टील वायर फेंसिंग को मद्रास हाईकोर्ट की मंजूरी