एक साल में क्या बदला? एक्सप्रेस अड्डा में बोले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
एक्सप्रेस अड्डा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने एक साल के कार्यकाल, बदली जिम्मेदारियों, राजनीतिक चुनौतियों और जम्मू-कश्मीर में राज्यhood की उम्मीदों पर विस्तार से बात की।
नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने एक साल के कार्यकाल, बदली हुई जिम्मेदारियों और सामने आई चुनौतियों पर खुलकर बात की।
उमर अब्दुल्ला कश्मीर की राजनीति के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं। वे अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेता हैं, जिसने लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर की राजनीति को दिशा दी है। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई भूमिकाएं निभाई हैं—सबसे कम उम्र के सांसद बनने से लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने तक।
करीब एक साल पहले जब उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, तब उन्हें इस जिम्मेदारी की कठिनाई का पूरा अंदाज़ा था। उन्होंने खुद माना कि यह पद उनके लिए “कांटों का ताज” जैसा था। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद बदले राजनीतिक हालात, राज्य का केंद्र शासित प्रदेश में बदलना और जनता की उम्मीदें—ये सभी उनके सामने बड़ी चुनौतियों के रूप में मौजूद थीं।
और पढ़ें: वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई और भजनों के बीच बेअसर विरोध, कैंपस में बना है सौहार्द
हालांकि, उन्हें जनता से मिला मजबूत जनादेश और यह उम्मीद कि जम्मू-कश्मीर को भविष्य में फिर से राज्य का दर्जा मिलेगा, उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीते एक साल में उनकी भूमिका केवल प्रशासनिक नहीं रही, बल्कि विश्वास बहाली, विकास और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना भी उनकी प्राथमिकता रही है।
उन्होंने स्वीकार किया कि सुरक्षा, विकास, रोजगार और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत करना अब भी बड़ी चुनौतियां हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक साल में सब कुछ बदल जाना संभव नहीं है, लेकिन सही दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं।
उमर अब्दुल्ला की यह बातचीत जम्मू-कश्मीर के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य, भविष्य की संभावनाओं और उनकी नेतृत्व शैली को समझने का एक अहम अवसर रही।