केवल आपराधिक अतीत को आधार बनाकर जमानत अस्वीकार नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल आरोपी का आपराधिक अतीत जमानत अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता। केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए पांच आरोपियों को जमानत दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि केवल किसी आरोपी का आपराधिक अतीत होना जमानत अस्वीकार करने का आधार नहीं बन सकता। इस मामले में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल हाईकोर्ट के 2024 के एक निर्णय को पलट दिया, जिसमें पांच आरोपियों को जमानत देने का फैसला रद्द कर दिया गया था।
मामला 10 आरोपियों के खिलाफ था, और इनमें से पांच को पहले हाईकोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी। हाईकोर्ट ने बाद में इसे खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी का पिछला आपराधिक रिकॉर्ड एकमात्र आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि जमानत न्यायपालिका की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इसे केवल गंभीर परिस्थितियों में ही अस्वीकार किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, जमानत का उद्देश्य न केवल आरोपी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करना है, बल्कि यह यह सुनिश्चित करना भी है कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और संतुलित तरीके से चले। अदालत ने यह भी कहा कि किसी आरोपी को पूर्व अपराधों के आधार पर स्वतः दोषी मानकर जमानत देने से इनकार करना कानूनी दृष्टि से उचित नहीं है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल न्यायपालिका की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि इससे भविष्य में अन्य मामलों में भी आरोपी के अधिकारों की रक्षा होगी। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि जमानत की अस्वीकार्यता केवल गंभीर अपराध, फरार होने या सबूतों को प्रभावित करने जैसे विशिष्ट कारणों पर ही आधारित हो।
यह निर्णय भारतीय न्यायिक प्रणाली में आरोपी के अधिकारों और जमानत से संबंधित प्रक्रियाओं के महत्व को उजागर करता है।