सुप्रीम कोर्ट ने सलमान रुश्दी की किताब द सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सलमान रुश्दी की विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज की। अदालत ने संबंधित अधिसूचना की कमी का हवाला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सलमान रुश्दी की चर्चित और विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह किताब धार्मिक भावनाओं को आहत करती है और इसे भारत में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि ऐसी किसी भी याचिका पर विचार तभी किया जा सकता है, जब सरकार की ओर से कोई अधिसूचना जारी हो। अदालत ने साफ किया कि इस मामले में न तो केंद्र और न ही किसी राज्य सरकार ने इस तरह की अधिसूचना जारी की है। इसलिए, कानूनी रूप से अदालत इस पर रोक लगाने का आदेश पारित नहीं कर सकती।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बिना पर्याप्त कानूनी आधार के रोक नहीं लगा सकती। ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर पहले से ही कई देशों में प्रतिबंध है और यह किताब वर्षों से विवादों में रही है। भारत में भी इसके खिलाफ समय-समय पर विरोध और प्रदर्शन होते रहे हैं।
इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता को झटका लगा है। हालांकि, अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता या कोई अन्य पक्ष इस पुस्तक को लेकर गंभीर आपत्तियाँ रखता है तो वह सरकार से अधिसूचना जारी करने की मांग कर सकता है।
यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन की बहस को एक बार फिर से सामने लाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख साफ करता है कि बिना ठोस कानूनी प्रक्रिया और अधिसूचना के किसी भी किताब पर सीधा प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।