विशेष रिपोर्ट: साबरमती आश्रम में विनोबा–मीरा कुटी की खुदाई से मिले दबे हुए सीढ़ियाँ, संरक्षण की नई योजना तैयार
साबरमती गांधी आश्रम में विनोबा–मीरा कुटी की खुदाई के दौरान ऐतिहासिक सीढ़ियां मिली हैं। इसके आधार पर संरक्षण की नई योजना बनाई जा रही है।
अहमदाबाद के साबरमती गांधी आश्रम में चल रहे 1,200 करोड़ रुपये के पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। 55 एकड़ में फैले इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बीच, आश्रम के मुख्य पांच एकड़ क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे ट्रस्ट ने वहां स्थित भवनों के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया है। इसमें महात्मा गांधी का निवास और विनोबा–मीरा कुटी भी शामिल है।
जीर्णोद्धार कार्य के दौरान विनोबा–मीरा कुटी के आसपास की गई खुदाई में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष सामने आए हैं। खुदाई के दौरान जमीन के नीचे दबी हुई सीढ़ियां मिलीं, जिससे इस कुटी की मूल संरचना और स्वरूप को लेकर नई जानकारियां सामने आई हैं। इन खोजों के आधार पर अब संरक्षण और पुनर्स्थापन की एक नई योजना तैयार की जा रही है।
विनोबा–मीरा कुटी एक कमरे का छोटा सा आवास है, जहां समाज सुधारक आचार्य विनोबा भावे और ब्रिटिश-भारतीय लेखिका मेडेलीन स्लेड, जिन्हें महात्मा गांधी ने ‘मीरा बहन’ नाम दिया था, अलग-अलग समय पर गांधी जी के साथ रहे थे। वर्ष 1918 से 1933 के बीच यह कुटी स्वतंत्रता आंदोलन और रचनात्मक गतिविधियों का साक्षी रहा है।
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पुनर्स्थापन कार्य पूरा होने के बाद आश्रम के इस मुख्य हिस्से में सबसे बड़ा बदलाव कुटी की “ऊंचाई” (एलीवेशन) को लेकर देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल ऐतिहासिक संरचना को बेहतर तरीके से संरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि आगंतुकों को भी उस दौर की जीवनशैली और वास्तुकला को समझने में मदद मिलेगी।
ट्रस्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, विनोबा–मीरा कुटी का यह जीर्णोद्धार कार्य लगभग 15 दिनों में पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद आश्रम आने वाले पर्यटकों को गांधी युग की इस महत्वपूर्ण विरासत का अधिक प्रामाणिक और संरक्षित स्वरूप देखने को मिलेगा।
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