उपराष्ट्रपति ने पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव कार्यक्रम को मंजूरी दी, छात्रों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की
पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव कार्यक्रम को उपराष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही छात्रों ने महीनेभर का आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। विपक्ष व छात्र संगठनों ने इसे बड़ी लोकतांत्रिक जीत बताया।
पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, जो पंजाब विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, ने गुरुवार (27 नवंबर 2025) को विश्वविद्यालय की सीनेट चुनाव की तिथि को आधिकारिक मंजूरी दे दी। उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से यह जानकारी पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति रेनू विग को भेजी गई।
जारी कार्यक्रम के अनुसार, सीनेट चुनाव 7 सितंबर 2026 से 4 अक्टूबर 2026 के बीच कराए जाएंगे। लंबे समय से लंबित चुनाव कार्यक्रम को मंजूरी मिलने के बाद कैंपस में छात्रों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। करीब एक महीने से छात्र सीनेट चुनाव की घोषणा की मांग को लेकर लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।
कुलपति रेनू विग ने खुद प्रदर्शन स्थल पर जाकर छात्रों को आश्वस्त किया कि उनकी मुख्य मांग पूरी हो चुकी है और अब वे आंदोलन समाप्त करें। PU बचाओ मोर्चा के अवतार सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति सचिवालय से मिला आधिकारिक पत्र कुलपति ने छात्रों को सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को विजय रैली निकालकर धरना समाप्त किया जाएगा।
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नए कार्यक्रम के अनुसार—
• प्रिंसिपल और स्टाफ का चुनाव 7 सितंबर 2026 को
• प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का चुनाव 14 सितंबर
• आर्ट्स कॉलेजों के हेड और फैकल्टी का चुनाव 20 सितंबर
• रजिस्टर्ड ग्रेजुएट निर्वाचन 20 सितंबर
• फैकल्टी का अंतिम चुनाव 4 अक्टूबर को होगा।
इस आंदोलन को पंजाब की कई राजनीतिक पार्टियों—आप, शिअद, कांग्रेस सहित कई किसान और धार्मिक संगठनों ने खुलकर समर्थन दिया। नेताओं ने छात्रों की “जीत” की सराहना करते हुए इसे लोकतंत्र की बहाली बताया।
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, आप सांसद मलविंदर सिंह कांग, पंजाब कांग्रेस प्रमुख राजा वड़िंग और शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने छात्रों की दृढ़ता की प्रशंसा की। नेताओं ने कहा कि यह जीत छात्रों की एकजुटता और शांतिपूर्ण संघर्ष का परिणाम है।
यह आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी—सीनेट और सिंडिकेट—के पुनर्गठन के प्रस्ताव के खिलाफ शुरू हुआ था। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने 7 नवंबर को यह अधिसूचना वापस ले ली थी, लेकिन छात्र सीनेट चुनाव कार्यक्रम घोषित होने तक आंदोलन जारी रखने पर अड़े थे।