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दुनिया का सबसे बड़ा बांस-आधारित एथेनॉल प्लांट, पूर्वोत्तर की घासों से बनेगा ईंधन

पूर्वोत्तर भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बांस-आधारित एथेनॉल प्लांट बन रहा है। बाल्को और तुलदा किस्मों से एथेनॉल उत्पादन होगा, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा बांस-आधारित एथेनॉल प्लांट तेजी से आकार ले रहा है। यह परियोजना न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार और आजीविका के नए अवसर भी लेकर आएगी।

इस प्लांट के लिए विशेष रूप से बाल्को और तुलदा किस्म के बांस को प्राथमिकता दी जा रही है। ये किस्में पूर्वोत्तर क्षेत्र की स्वदेशी घासें हैं और इनमें उच्च सेलुलोज़ की मात्रा पाई जाती है। यही गुण इन्हें एथेनॉल उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है।

एथेनॉल को भारत सरकार जैव ईंधन मिश्रण कार्यक्रम (Biofuel Blending Programme) के तहत पेट्रोल में मिलाने पर जोर दे रही है। इससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन घटाने में भी मदद मिलेगी। इस दृष्टि से यह प्लांट न केवल ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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स्थानीय किसानों और बांस उत्पादकों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। बांस की मांग बढ़ने से उनकी आय में वृद्धि होगी और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। साथ ही, यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत को हरित ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस परियोजना का सफलतापूर्वक संचालन होता है, तो यह भारत को वैश्विक जैव ईंधन बाजार में एक बड़ी पहचान दिला सकता है। यह ऊर्जा आत्मनिर्भरता, ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण साबित हो सकता है।

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