नाटो प्रमुख मार्क रुटे ने स्पष्ट कहा है कि यूक्रेन में पश्चिमी देशों के सैनिकों की तैनाती पर रूस का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है, और वहां किस देश के सैनिक तैनात होंगे या नहीं, यह निर्णय केवल यूक्रेन और उसके साझेदार देशों का होगा, न कि रूस का।
रुटे का यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस लगातार पश्चिमी देशों को चेतावनी दे रहा है कि वे यूक्रेन में सैनिक न भेजें। रूस का दावा है कि ऐसा कदम संघर्ष को और भड़का सकता है और उसके लिए गंभीर परिणाम सामने ला सकता है। हालांकि, नाटो प्रमुख ने कहा कि पश्चिम को यह सोचना भी नहीं चाहिए कि रूस की राय इस मामले में निर्णायक है।
उन्होंने कहा, “हम क्यों सोचें कि यूक्रेन में सैनिक भेजने पर रूस क्या सोचता है? यह एक संप्रभु राष्ट्र है। इसका फैसला रूस नहीं कर सकता।” रुटे ने इस बात पर भी जोर दिया कि नाटो का उद्देश्य यूक्रेन को उसकी स्वतंत्रता और सुरक्षा की लड़ाई में सहयोग देना है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान रूस पर सीधा राजनीतिक दबाव डालता है और संकेत देता है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को दी जा रही सैन्य मदद में पीछे हटने वाले नहीं हैं। साथ ही, यह यूक्रेन के लिए नैतिक और रणनीतिक समर्थन का भी संदेश है।
हालांकि, रूस के कड़े रुख और पश्चिमी देशों की रणनीति के बीच भविष्य में तनाव और बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
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