संसदीय समिति ने नागरिक उड्डयन क्षेत्र की सुरक्षा और नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए एक नई, पूरी तरह से स्वायत्त नागरिक उड्डयन सुरक्षा नियामक की आवश्यकता पर जोर दिया है। समिति की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वर्तमान भर्ती प्रक्रिया के धीमेपन के कारण कर्मचारियों की गंभीर कमी देश की नागरिक उड्डयन सुरक्षा प्रणाली के लिए अस्तित्वगत खतरा बन चुकी है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि UPSC के माध्यम से अधिकारियों और तकनीकी कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया बहुत समय लेने वाली है, जिससे नियामक संस्थानों में पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। यह स्थिति उड्डयन सुरक्षा के मानकों को बनाए रखने और एयरक्राफ्ट ऑपरेशनों की निगरानी करने में बाधा उत्पन्न कर रही है।
संसदीय समिति ने कहा कि भारत में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ढांचे की प्रभावशीलता के लिए यह जरूरी है कि नियामक पूरी तरह से स्वतंत्र और स्वायत्त हो। स्वायत्तता सुनिश्चित करने से नियामक संस्था को न केवल निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि सुरक्षा मानकों के उल्लंघन या लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई करने की क्षमता भी बढ़ेगी।
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रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि मानव संसाधन संकट को दूर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में सुधार और समयबद्ध ढांचा बनाया जाए, ताकि विशेषज्ञों और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के तेजी से बढ़ते नागरिक उड्डयन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए स्वायत्त नियामक और मजबूत मानव संसाधन ढांचे की आवश्यकता अब और अधिक बढ़ गई है। यह कदम भविष्य में विमानन दुर्घटनाओं और सुरक्षा खामियों को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
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