दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्वीकार किया है कि देश में होने वाले कुल प्रदूषण में लगभग 40 प्रतिशत योगदान परिवहन क्षेत्र का है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सिर्फ दो दिन रुकने पर ही उन्हें संक्रमण हो जाता है, जो प्रदूषण की भयावह स्थिति को दर्शाता है।
मंगलवार (23 दिसंबर 2025) को उदय माहुरकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘माय आइडिया ऑफ नेशन फर्स्ट – रीडिफाइनिंग अनएलॉयड नेशनलिज्म’ के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि आज अगर सच्चा राष्ट्रवाद है, तो वह आयात घटाने और निर्यात बढ़ाने में है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर दिल्ली इतनी अधिक प्रदूषण की मार क्यों झेल रही है।
नितिन गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा, “मैं परिवहन मंत्री हूं और प्रदूषण का 40 प्रतिशत हिस्सा हमारे ही क्षेत्र से आता है।” उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि भारत हर साल करीब 22 लाख करोड़ रुपये जीवाश्म ईंधन के आयात पर खर्च कर रहा है।
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उन्होंने कहा कि इतना भारी खर्च कर हम न केवल विदेशी ईंधन पर निर्भर हो रहे हैं, बल्कि अपने ही देश को प्रदूषित कर रहे हैं। गडकरी ने सवाल उठाया कि क्या भारत वैकल्पिक ईंधन और जैव ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।
इस बीच बुधवार (24 दिसंबर) को दिल्ली के कई इलाकों में जहरीली धुंध की मोटी परत छाई रही। आईटीओ क्षेत्र से सामने आए दृश्यों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब नजर आई। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप (GRAP) स्टेज-IV के तहत सभी कड़े कदम लागू कर दिए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आईटीओ क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 374 दर्ज किया गया, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है।
विपक्ष ने संसद में प्रदूषण पर चर्चा की मांग की थी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी तक ने सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की। हालांकि, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण प्रदूषण पर चर्चा नहीं हो सकी।
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