लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश किया गया है, जिसमें रियल-मनी गेम्स (वास्तविक धन से खेले जाने वाले गेम्स) पर प्रतिबंध का प्रावधान शामिल है। हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग संगठनों और महासंघों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है।
उद्योग संघों ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह का blanket ban (सर्वव्यापी प्रतिबंध) लगाया गया, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए "मौत की घंटी" साबित होगा। उनका कहना है कि इस कदम से न केवल लाखों रोजगार खतरे में पड़ जाएंगे, बल्कि करोड़ों उपयोगकर्ता अवैध ऑफशोर बेटिंग और जुए के प्लेटफ़ॉर्म की ओर धकेले जाएंगे।
फेडरेशनों का तर्क है कि भारत में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इसमें स्टार्टअप्स, डेवलपर्स और निवेशकों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रतिबंध लगाने की बजाय नियामक ढांचा तैयार करना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों की सुरक्षा और उद्योग का संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
और पढ़ें: संसद मॉनसून सत्र दिवस 20: अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश किया, विपक्ष के हंगामे के बीच दोनों सदन दोपहर 2 बजे तक स्थगित
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, ऐसे सभी गेम्स जिनमें वास्तविक धन का इस्तेमाल होता है, उन्हें अवैध घोषित किया जाएगा। इसका सीधा असर फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और अन्य रियल-मनी गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स पर पड़ेगा, जो वर्तमान में करोड़ों उपयोगकर्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं।
उद्योग निकायों ने सरकार से अपील की है कि इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए संसद की समिति को भेजा जाए, ताकि सभी हितधारकों के विचारों को शामिल कर कोई संतुलित समाधान निकाला जा सके।
यह विधेयक न केवल गेमिंग कंपनियों के भविष्य, बल्कि भारत के डिजिटल स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
और पढ़ें: केंद्र लाएगा कानून, रियल मनी गेमिंग कंपनियों पर लगेगा प्रतिबंध