पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने असम विधानसभा द्वारा पारित प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (असम अमेंडमेंट) बिल, 2025 की तीखी आलोचना की है। यह बिल 27 नवंबर 2025 को पारित किया गया, जिसका उद्देश्य माघ बिहू त्योहार के दौरान होने वाली पारंपरिक भैंसों की लड़ाई को 1960 के प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट के दायरे से बाहर करना है।
असम में माघ बिहू, जो हर वर्ष जनवरी के मध्य में मनाया जाता है, राज्य का एक प्रमुख कृषि उत्सव है। इसकी परंपराओं में से एक है 'मोह जूज' नामक भैंसों की लड़ाई, जो दशकों से स्थानीय समाज का हिस्सा रही है। सरकार का कहना है कि यह लड़ाई सांस्कृतिक विरासत और समुदाय की भावनाओं से जुड़ी है, इसलिए इसे कानूनी सुरक्षा देना आवश्यक है।
हालांकि, PETA इंडिया ने इस कदम को "पशु क्रूरता को वैध करने" जैसा बताया है। संगठन का कहना है कि भैंसों की लड़ाई न केवल हिंसक परंपरा है, बल्कि इससे पशुओं को गंभीर मानसिक और शारीरिक कष्ट भी होता है। PETA ने तर्क दिया कि किसी भी सांस्कृतिक गतिविधि को क्रूर प्रथाओं के माध्यम से जारी नहीं रखा जा सकता।
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PETA ने सरकार से अपील की है कि वह इस परंपरा को बढ़ावा देने के बजाय पशु कल्याण मानकों को मजबूत करे और आधुनिक तथा अहिंसक विकल्पों को प्रोत्साहित करे। संगठन का यह भी कहना है कि भारत का कानून स्पष्ट रूप से पशु पीड़ा या अनावश्यक कष्ट देने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है।
असम सरकार ने इस बिल के माध्यम से स्थानीय परंपराओं को सम्मान देने की बात कही है, लेकिन पशु अधिकार संगठनों का मानना है कि यह संशोधन देश के पशु संरक्षण कानूनों की भावना के विपरीत है।
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