उत्तर प्रदेश की मूल नस्ल रैम्पुर हाउंड (Indi), जिसे कभी रैम्पुर के नवाब शिकार के लिए पाला करते थे, अपनी निडरता और सहनशक्ति के लिए प्रसिद्ध रही है। वहीं, मुधोल हाउंड, जो दक्कन के पठार से आती है, मराठा योद्धा परंपरा से गहराई से जुड़ी हुई है। इस नस्ल को बाद में राजा मलोजीराव घोरपड़े ने और परिष्कृत किया था, जिन्होंने इसे ब्रिटिशों को “Caravan Hound” के रूप में प्रस्तुत किया।
बीएसएफ (BSF) ने एनटीसीडी टेकनपुर और उसके सहायक K9 केंद्रों में इन स्वदेशी नस्लों के बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण, प्रजनन और प्रचार का कार्य शुरू किया है। आज, 150 से अधिक भारतीय नस्ल के कुत्ते पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं से लेकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों तक विभिन्न परिचालन अभियानों में तैनात हैं, और इनके परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे हैं।
इतिहास तब बना जब लखनऊ में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट 2024 में ‘रिया’ नामक मुधोल हाउंड ने “बेस्ट इन ट्रैकर ट्रेड” और “बेस्ट डॉग ऑफ द मीट” दोनों खिताब जीतकर 116 विदेशी नस्लों को पीछे छोड़ दिया। यह उपलब्धि केवल प्रतीकात्मक नहीं थी—यह भारतीय नस्लों की वैश्विक स्तर पर बराबरी का प्रमाण थी।
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अब एक और गौरवपूर्ण क्षण एकता दिवस पर गुजरात के एकता नगर में देखने को मिलेगा, जहां केवल भारतीय नस्ल के कुत्तों से सुसज्जित बीएसएफ की टुकड़ी परेड करेगी। इस अवसर पर इन कुत्तों की प्रशिक्षण क्षमताओं और फुर्ती का प्रदर्शन भी किया जाएगा—जो आत्मनिर्भर भारत की जीवंत मिसाल है।
इस पहल के माध्यम से बीएसएफ ने न केवल अपनी संचालन क्षमता को मजबूत किया है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भरता के गौरव को भी पुनर्जीवित किया है।
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