पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में "अनघोषित राष्ट्रपति शासन" लागू कर दिया गया है। मान ने यह टिप्पणी हाल ही में आए बाढ़ और उससे प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा के दौरान की।
मान ने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार लगातार बाधाएं डाल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्य की स्वायत्तता को खत्म करने की कोशिश कर रहा है और प्रशासनिक मामलों में दखल देकर संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा, “केंद्र सरकार का रवैया ऐसा है जैसे राज्य में चुनी हुई सरकार मौजूद ही नहीं है। अधिकारी सीधे केंद्र से निर्देश ले रहे हैं और राज्य सरकार की अनदेखी की जा रही है।”
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उन्होंने दावा किया कि बाढ़ राहत और पुनर्वास कार्यों में केंद्र का सहयोग बेहद सीमित रहा, जबकि पंजाब को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। मान ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों, मजदूरों और बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन केंद्र की नीतियां बाधक बन रही हैं।
मान ने यह भी कहा कि विपक्ष को राज्य हितों से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र का रवैया यही रहा तो राज्य सरकार संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करेगी।
विशेष सत्र में विपक्षी दलों ने भी केंद्र के रवैये की आलोचना की और राज्य सरकार से बाढ़ राहत कार्यों को पारदर्शी और तेज़ बनाने की मांग की।
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