राजस्थान के जालोर जिले में महिलाओं के स्मार्टफोन इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंध को गांव के बुजुर्गों ने वापस ले लिया है। इस फैसले को लेकर कई जगहों पर विरोध होने के बाद गुरुवार (25 दिसंबर 2025) को गाजीपुर गांव में पंचायतों (गांव के बुजुर्गों) की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें सर्वसम्मति से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया गया।
गांव के बुजुर्गों ने स्पष्ट किया कि यह फैसला बच्चों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया था, लेकिन इसे गलत तरीके से समझ लिया गया। इससे पहले 21 दिसंबर को गाजीपुर गांव में सुंधामाता पट्टी के चौधरी समाज की बैठक हुई थी, जिसमें 15 गांवों की बेटियों और बहुओं के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर 26 जनवरी से प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया गया था।
हालांकि, पंचायत ने यह भी तय किया था कि महिलाएं और लड़कियां केवल कॉल करने के लिए की-पैड (फीचर) फोन रख सकती हैं। समुदाय के एक सदस्य हिम्मताराम द्वारा सुनाए गए आदेश के अनुसार, यदि स्कूल जाने वाली लड़कियों को पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन की जरूरत हो, तो वे उसका इस्तेमाल केवल घर के अंदर ही कर सकती थीं। शादी-विवाह, सामाजिक कार्यक्रमों या पड़ोसियों के घर मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं थी।
और पढ़ें: राजस्थान में सेना का टैंक इंदिरा गांधी नहर में डूबा, एक जवान की मौत
समुदाय के एक अन्य सदस्य नाथाराम चौधरी ने बताया कि 21 दिसंबर को सुंधा माता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने शिकायत की थी कि उनके बच्चे स्कूल से लौटते ही स्मार्टफोन पर लग जाते हैं। वे न तो खाना खाते हैं और न ही पढ़ाई करते हैं, बल्कि पूरा दिन वीडियो देखने में बिताते हैं, जिससे उनके दिमाग और आंखों पर बुरा असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि रोजाना साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं और महिलाएं व लड़कियां शोषण का शिकार हो रही हैं। इसी वजह से स्थिति को परखने के लिए एक महीने का समय दिया गया था। यदि सभी को यह निर्णय स्वीकार्य होता, तो 26 जनवरी से इसे लागू किया जाता, लेकिन लोगों ने इसे गलत समझ लिया।
और पढ़ें: दहेज एक क्रॉस-कल्चरल बुराई, जो उपहार और सामाजिक अपेक्षाओं के रूप में छिप गई है: सुप्रीम कोर्ट