भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 5.50% पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। समिति ने अपनी नीति रुख "न्यूट्रल" रखा है, लेकिन गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि आगे ब्याज दरों में कटौती संभव है।
सभी छह सदस्यों ने दरों को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया, हालांकि दो सदस्य नीति रुख को "न्यूट्रल" से "अकोमोडेटिव" करने के पक्ष में थे। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि हालिया वित्तीय कदमों और वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं का असर अभी सामने आना बाकी है। ऐसे में फिलहाल इंतजार करना उचित होगा।
आरबीआई ने मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.6% किया है और वित्तीय वर्ष 2026 के लिए विकास लक्ष्य 6.8% रखा है। हालांकि तीसरी और चौथी तिमाही के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर क्रमशः 6.4% और 6.2% किया गया है।
बाजार ने इस फैसले का स्वागत किया—सेंसेक्स 715 अंकों की छलांग लगाकर 80,983 पर बंद हुआ, रुपये में 10 पैसे की मजबूती आई और बॉन्ड यील्ड 6.52% तक फिसल गई।
विश्लेषकों का मानना है कि दिसंबर और फरवरी में दो बार 25-25 आधार अंकों की कटौती हो सकती है। बोफा सिक्योरिटीज और एचएसबीसी के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यदि 50% अमेरिकी टैरिफ साल के अंत तक बने रहते हैं, तो आरबीआई दरों में कटौती करने पर मजबूर होगा। एचडीएफसी बैंक की अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता का कहना है कि दरों में कटौती तभी होगी जब वृद्धि की गति धीमी पड़ेगी और टैरिफ का असर और गहरा होगा।
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