राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हुए बिहार के सामाजिक-आर्थिक जातीय सर्वेक्षण (SIR) में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग की है। वर्तमान समयसीमा 1 सितंबर तय की गई है।
एआईएमआईएम की ओर से पेश अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने अदालत को बताया कि बड़े पैमाने पर दावे और आपत्तियां दाखिल की जा रही हैं, जिसके कारण निर्धारित समय में सभी आवेदनों का निपटारा संभव नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया की गंभीरता को देखते हुए समय सीमा बढ़ाना आवश्यक है, ताकि किसी भी व्यक्ति या समूह का वैध दावा छूट न जाए।
आरजेडी की ओर से भी इसी तरह की याचिका दाखिल की गई है। पार्टी का कहना है कि समाज के विभिन्न तबकों से आई भारी प्रतिक्रिया को देखते हुए और न्यायपूर्ण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत जल्द ही यह तय करेगी कि समय सीमा बढ़ाई जाए या नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय सीमा नहीं बढ़ाई गई तो कई योग्य दावेदार अपने अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
यह मामला ऐसे समय में आया है जब बिहार एसआईआर के आंकड़े और उनकी राजनीतिक अहमियत पर पहले से ही बहस जारी है।
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