पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन—SIR) के पहले चरण के दौरान सामने आई विसंगतियों को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) अब दूसरे चरण की तैयारी कर रहा है। आयोग क्रिसमस के बाद उन मामलों में सुनवाई शुरू करेगा, जिनमें मतदाताओं द्वारा भरे गए गणना (एन्यूमरेशन) फॉर्म में “तार्किक विसंगतियां” पाई गई हैं।
ईसी अधिकारियों के अनुसार, आयोग का विशेष ध्यान पश्चिम बंगाल के उन पांच सीमावर्ती जिलों पर है, जहां इस तरह की विसंगतियों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई है। इन पांच सीमा जिलों में दक्षिण 24 परगना में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां पाई गई हैं। आयोग का मानना है कि इन क्षेत्रों में मतदाता विवरण की गहन जांच जरूरी है, ताकि मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
16 दिसंबर को चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का प्रारूप (ड्राफ्ट रोल) जारी किया था। इस प्रारूप के अनुसार, राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ से घटकर 7.08 करोड़ रह गई। यानी 58 लाख से अधिक नाम मतदाता सूची से हटाए गए। इन विलोपनों के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है और कई दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
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चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह नियमों के तहत और पारदर्शी तरीके से की जा रही है। जिन मतदाताओं के फॉर्म में विसंगतियां पाई गई हैं, उन्हें सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। आयोग यह भी सुनिश्चित करेगा कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम गलत तरीके से सूची से न हटे।
ईसी अधिकारियों के मुताबिक, सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या की आवाजाही और दस्तावेजों की जटिलताओं के कारण इस तरह की समस्याएं अधिक सामने आती हैं। इसलिए चरण-2 में इन जिलों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।
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