दक्षिण अफ्रीका की सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जोहान्सबर्ग में होने वाले आगामी G20 शिखर सम्मेलन के बहिष्कार के निर्णय पर कड़ा विरोध जताया है।
ANC के महासचिव फिकिले मबालुला ने ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों पर “झूठे और औपनिवेशिक हस्तक्षेप” के आरोप लगाए। ट्रंप ने दावा किया था कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अफ्रिकानर किसानों पर अत्याचार हो रहे हैं, इसी कारण उन्होंने सम्मेलन में अमेरिकी प्रतिनिधित्व रोकने का निर्णय लिया।
ट्रंप ने कहा, “अफ्रिकानरों को मारा जा रहा है, उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं। जब तक यह मानवाधिकार उल्लंघन जारी रहेगा, कोई अमेरिकी अधिकारी G20 में नहीं जाएगा।” वहीं रुबियो ने भी उनका समर्थन करते हुए कहा कि अफ्रिकानर समुदाय पर दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा “नस्लीय भेदभाव” किया जा रहा है।
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इस पर मबालुला ने कहा, “यह सब सफेद झूठ है। दक्षिण अफ्रीका में कोई नस्लीय भेदभाव नहीं है। हमारे कानून रंगभेद के कारण हुई असमानताओं को दूर करने के लिए बने हैं। हम औपनिवेशिक मानसिकता को बर्दाश्त नहीं करते।”
मबालुला ने कहा कि अमेरिका की अनुपस्थिति के बावजूद G20 सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं, जो निष्पक्ष व्यापार में विश्वास रखता है, किसी महाशक्ति के प्रभुत्व में नहीं।”
दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने भी ट्रंप के दावों को “राजनीतिक रूप से प्रेरित और निराधार” बताया। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि खेतों पर अपराधों से काले और गोरे दोनों समुदाय समान रूप से प्रभावित हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप के शासनकाल में दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं, खासकर तब से जब ट्रंप ने कुछ श्वेत किसानों को शरण देने की पेशकश की थी।
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