हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और राज्य चुनाव आयोग (SEC) के बीच एक बार फिर टकराव गहरा गया है। पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों से जुड़े मामलों में पिछले छह महीनों से जारी खींचतान अब नए फैसलों के बाद और तेज हो गई है।
17 नवंबर को राज्य चुनाव आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) के क्लॉज़ 12.1 को लागू करते हुए सरकार को ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों की जनसांख्यिक संरचना में किसी भी तरह का बदलाव करने से रोक दिया था। आयोग का कहना था कि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है।
इसके बावजूद, 24 नवंबर को सुखू कैबिनेट ने स्थानीय निकायों के पुनर्गठन का फैसला लिया। सरकार ने तर्क दिया कि पूरे राज्य में आपदा प्रबंधन अधिनियम (Disaster Management Act) लागू है, ऐसे में स्थानीय निकायों के चुनाव कराना संभव नहीं है। इसलिए प्रशासनिक सुविधा के लिए पुनर्गठन अनिवार्य है।
और पढ़ें: आरबीआई की मुद्रास्फीति भविष्यवाणी में कोई पक्षपात नहीं: उप-गवर्नर पूनम गुप्ता
इस फैसले से SEC और सरकार के बीच नया विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग ने सरकार के कदम को MCC का उल्लंघन माना है, जबकि सरकार का दावा है कि वह संवैधानिक दायरे में रहते हुए ही कार्य कर रही है।
पिछले कुछ महीनों में दोनों के बीच कई मुद्दों को लेकर असहमति देखी गई है, खासकर पंचायत क्षेत्रों की सीमाओं, निर्वाचन मतदाता सूचियों और प्रशासनिक पुनर्संरचना को लेकर। अब दोनों पक्षों के नए रुख से अंदेशा है कि स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया और भी प्रभावित हो सकती है।
और पढ़ें: दिन की शीर्ष खबरें: नागरिकता पर निर्णय का अधिकार और टीम इंडिया की टेस्ट सीरीज़ हार