सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन को एक वर्ष पूरा हो गया है, लेकिन देश और उसके लोग अभी भी युद्ध, दमन और तबाही से उबरने की जद्दोजहद में हैं। 8 दिसंबर 2024 को जब असद शासन ढह गया और विद्रोही समूहों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया, तब असद को रूसी बलों द्वारा सुरक्षित रूप से मास्को ले जाया गया, जहाँ वह अब भी निर्वासन में हैं।
इस दौरान सीरिया के हज़ारों राजनीतिक बंदियों को आज़ादी मिली। इनमें मोहम्मद मारवान भी शामिल थे, जो छह वर्षों तक बदनाम सैदनाया जेल में यातनाएं झेलते रहे। घर लौटने के बाद भी वह शारीरिक और मानसिक पीड़ा से जूझते रहे—ट्यूबरकुलोसिस, चिंता और नींद की समस्या। फिलहाल वे इलाज और थेरेपी ले रहे हैं।
सीरिया भी इसी तरह अपनी बर्बादी से उबरने की कोशिश कर रहा है। 50 वर्षों के दमनकारी शासन और 14 साल के गृहयुद्ध ने देश को बुरी तरह तबाह कर दिया—लगभग 5 लाख मौतें, करोड़ों विस्थापित और टूटी अर्थव्यवस्था पीछे छोड़कर। विद्रोही समूह HTS के नेता अहमद अल-शराअ अब अंतरिम राष्ट्रपति हैं और कूटनीतिक स्तर पर वैश्विक स्वीकृति पाने में सफल हुए हैं। लेकिन जमीन पर चुनौतियाँ बरकरार हैं—अलावी और द्रूज़ समुदायों पर हिंसा, कुर्द बलों से तनाव, इज़राइल के हमले और आर्थिक संकट।
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देश के पुनर्निर्माण का बड़ा काम अभी भी व्यक्तिगत स्तर तक सीमित है। दमिश्क के यरमूक कैंप जैसे क्षेत्र अब भी खंडहर बने हुए हैं, जहाँ लोग अपने खर्च पर घर ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं।
लोग बेहतर स्थिति की उम्मीद रखते हैं, लेकिन सुरक्षा, रोज़गार और पुनर्निर्माण अब भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। मारवान जैसे लोग कहते हैं कि स्थिति पहले से बेहतर है, लेकिन जीवन अभी भी संघर्षपूर्ण है, और कई लोग रोज़गार के लिए देश छोड़ने पर मजबूर हैं।
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