अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने कहा है कि तालिबान शासन किसी भी आतंकवादी संगठन को अफगान भूमि का इस्तेमाल नहीं करने देगा। मुत्तकी ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान “शांति और क्षेत्रीय स्थिरता” का समर्थन करता है और अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देगा।
काबुल में पत्रकारों से बात करते हुए मुत्तकी ने भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त सैन्य अभियान चलाने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपनी सीमाओं के भीतर किसी विदेशी सैन्य हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देंगे। अफगानिस्तान अपनी सुरक्षा खुद संभालने में सक्षम है।”
हालांकि, मुत्तकी ने भारत के साथ व्यापारिक सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार चाहती है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच वाघा बॉर्डर के माध्यम से व्यापार को आसान बनाया जाए ताकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि भारत के व्यापारी अफगानिस्तान के विकास में भागीदार बनें।”
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महिला अधिकारों और शिक्षा को लेकर उठ रही अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं पर मुत्तकी ने कहा कि यह “अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा” है। उनके अनुसार, तालिबान ने देश में स्थिरता, कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि मुत्तकी का यह बयान अफगानिस्तान की कूटनीतिक छवि सुधारने और दक्षिण एशिया में अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है। हालांकि, भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी गई है।
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