अमेरिकी नागरिकता एवं आप्रवासन सेवा (USCIS) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में सामने आया है कि अमेज़न के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) H-1B वीज़ा की मंजूरी पाने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी रही है। यह जानकारी भारतीय आईटी कंपनियों के अमेरिका में लगातार बढ़ते प्रभाव और उच्च तकनीकी कौशल वाले पेशेवरों की मांग को दर्शाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, H-1B वीज़ा के शीर्ष लाभार्थियों में अन्य बड़ी कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, एप्पल, गूगल, डेलॉइट, इंफोसिस, विप्रो और टेक महिंद्रा अमेरिकाज शामिल हैं। यह सूची स्पष्ट करती है कि वैश्विक टेक दिग्गजों और भारतीय आईटी कंपनियों की अमेरिका में बड़ी उपस्थिति बनी हुई है और वे अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की मांगों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
H-1B वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों, विशेषकर इंजीनियरिंग, आईटी और उच्च तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। TCS का इस सूची में दूसरे स्थान पर होना भारतीय आईटी सेक्टर की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और उसकी मजबूत पकड़ का प्रमाण माना जा रहा है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में टेक्नोलॉजी सेक्टर लगातार योग्य और उच्च कौशल वाले पेशेवरों की कमी महसूस कर रहा है। ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियाँ, जिनके पास विशाल और प्रशिक्षित मानव संसाधन है, इस कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
USCIS का यह डेटा एक बार फिर दिखाता है कि भारतीय आईटी कंपनियाँ न केवल अमेरिका की अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षेत्र में योगदान दे रही हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को और मजबूत कर रही हैं।
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