देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों और अदानी समूह के बीच नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को लेकर टकराव सामने आया है। टेलीकॉम कंपनियों ने आरोप लगाया है कि अदानी समूह द्वारा संचालित नवी मुंबई एयरपोर्ट ने मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित करने हेतु “राइट ऑफ वे” (RoW) देने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे पर टेलीकॉम कंपनियों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि एयरपोर्ट ऑपरेटर ने अपने परिसर में एक इन-बिल्डिंग नेटवर्क तैनात कर रखा है और मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उनसे अत्यधिक और “जबरन वसूली जैसे शुल्क” की मांग की जा रही है। कंपनियों का आरोप है कि ये शर्तें न केवल प्रतिस्पर्धा को कमजोर करती हैं, बल्कि उपभोक्ताओं के विकल्पों को भी सीमित करती हैं। उनका दावा है कि इस तरह की व्यवस्थाएं एकाधिकार को बढ़ावा देती हैं और खुले व निष्पक्ष बाजार के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
इस विवाद के बीच हाल ही में सोशल मीडिया पर नवी मुंबई एयरपोर्ट की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें सार्वजनिक सूचना बोर्ड पर यात्रियों को बताया गया था कि एयरपोर्ट परिसर में एयरटेल, वोडाफोन और जियो के मोबाइल सिग्नल उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। बोर्ड में यात्रियों को मुफ्त एयरपोर्ट वाई-फाई का उपयोग करने की सलाह दी गई थी।
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टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक महत्व के स्थानों पर निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी यात्रियों के लिए आवश्यक है, खासकर सुरक्षा, आपात स्थिति और डिजिटल सेवाओं के उपयोग के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बुनियादी ढांचे की अनुमति न देकर और एकतरफा नेटवर्क व्यवस्था लागू कर एयरपोर्ट ऑपरेटर प्रतिस्पर्धा को रोक रहा है।
अब यह मामला केंद्र सरकार और संबंधित नियामक संस्थाओं के संज्ञान में है। टेलीकॉम कंपनियों को उम्मीद है कि सरकार हस्तक्षेप कर निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और यात्रियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगी।
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