केंद्रीय आदिवासी कार्य मंत्री जूल ओराम ने मंगलवार (11 नवंबर, 2025) को कहा कि आदिवासी समुदाय केवल सरकारी योजनाओं के लाभार्थी नहीं हैं, बल्कि भारत की प्रगति के प्रमुख प्रेरक हैं। यह बयान उन्होंने ट्राइबल बिजनेस कॉन्क्लेव 2025 के अवसर पर दिया।
यह कॉन्क्लेव आदिवासी उद्यमियों के लिए व्यापारिक संबंध स्थापित करने और निवेश आकर्षित करने का एक मंच प्रदान करेगा। इसे भारत सरकार की ओर से आदिवासी प्रतीक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है।
जूल ओराम ने कहा, “आदिवासी उद्यमी अपनी मेहनत और नवाचार के माध्यम से न केवल अपने समुदाय को सशक्त बनाते हैं, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी योगदान देते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सही मार्गदर्शन, संसाधन और निवेश अवसर प्रदान करें।”
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इस कॉन्क्लेव में देशभर के आदिवासी उद्यमियों को शामिल किया गया है, ताकि वे व्यापारिक नेटवर्क विकसित कर सकें और अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए नए निवेशक खोज सकें। इसके अलावा, यह कार्यक्रम आदिवासी उद्यमियों की कौशल क्षमता और व्यावसायिक सोच को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करेगा।
आदिवासी व्यापारिक समागम का उद्देश्य न केवल आर्थिक अवसर बढ़ाना है, बल्कि आदिवासी समुदायों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देना है। इससे उनके व्यवसायिक दृष्टिकोण में सुधार होगा और वे राष्ट्रीय विकास में सक्रिय भागीदार बन सकेंगे।
सरकार की पहल से आदिवासी समुदाय में नवाचार, उद्यमिता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा, जो देश की समग्र प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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